Sritunjay World: भाग्य की नई शुरुआत

Search This Blog

भाग्य की नई शुरुआत

 दोस्त और सोने की मुर्गी


एक समय की बात है, एक गाँव में दो घनिष्ठ मित्र रहते थे। एक का नाम मोहन था, जो मेहनती और ईमानदार था। दूसरा था सोहन, जो स्वभाव से आलसी और चालाक था। दोनों की दोस्ती गहरी थी, लेकिन उनके स्वभाव में बड़ा फर्क था।


भाग्य की नई शुरुआत


एक दिन जंगल में घूमते हुए, दोनों को एक सुनहरी मुर्गी मिली। मुर्गी ने बोलते हुए कहा,

"अगर मेरी अच्छी तरह से देखभाल करोगे, तो मैं हर दिन एक सोने का अंडा दूंगी। लेकिन यदि मुझे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, तो तुम्हें बड़ा नुकसान होगा।"


दोनों दोस्त इस अनमोल उपहार को पाकर बहुत खुश हुए। उन्होंने तय किया कि वे मुर्गी की बारी-बारी से देखभाल करेंगे और सोने के अंडे को आधा-आधा बांटेंगे।


सोहन की लालच


कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चला। मोहन ईमानदारी से मुर्गी की देखभाल करता, लेकिन सोहन के मन में लालच बढ़ने लगा। उसने सोचा, "अगर मैं इस मुर्गी को मार दूं, तो सारे सोने के अंडे एक ही बार में मेरे हो जाएंगे।"


एक रात, जब मोहन सो रहा था, सोहन ने चुपके से मुर्गी को पकड़ लिया। उसने मुर्गी को मार दिया, लेकिन उसके अंदर से एक भी सोने का अंडा नहीं निकला। अब उसके पास न मुर्गी थी, न सोने का अंडा।


सच्चे दोस्त का सबक


अगली सुबह जब मोहन को यह पता चला, तो वह बहुत दुखी हुआ। उसने सोहन से कहा,

"सोहन, तुम्हारा लालच न केवल तुम्हारे लिए, बल्कि मेरे लिए भी नुकसानदायक साबित हुआ। अगर तुम धैर्य रखते और ईमानदारी से इसे साझा करते, तो हम दोनों सुखी रहते।"


सोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसने मोहन से माफी मांगी और वादा किया कि वह अब लालच नहीं करेगा।


निष्कर्ष:


लालच से हमेशा हानि होती है, जबकि धैर्य और ईमानदारी से जी

वन में सुख-शांति आती है।





Popular Posts