कहानी: "दोस्ती की कीमत"
एक छोटे गाँव में मोहन नाम का लड़का रहता था। वह बहुत गरीब था लेकिन अपने सपनों और मेहनत के लिए जाना जाता था। मोहन दिन में स्कूल जाता और शाम को अपने पिता के साथ मजदूरी करता।
गाँव के पास एक बड़ा बंगला था, जिसमें रमन नाम का एक अमीर लड़का रहता था। रमन पढ़ाई में कमजोर था और अपनी दौलत के घमंड में डूबा रहता था। एक दिन, स्कूल में एक प्रतियोगिता हुई, जिसमें सभी बच्चों को मिलकर एक प्रोजेक्ट बनाना था। मोहन और रमन को एक ही टीम में रखा गया।
शुरू में रमन ने मोहन से बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उसने सोचा, "यह गरीब लड़का क्या मेरी मदद करेगा?" लेकिन जब मोहन ने अपनी बुद्धिमानी और मेहनत से प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया, तो रमन हैरान रह गया।
कुछ दिनों में रमन को समझ में आया कि मोहन के पास दौलत नहीं है, लेकिन उसका ज्ञान और सोच अमूल्य है। प्रोजेक्ट पूरा हुआ और उनकी टीम ने पहला इनाम जीता। रमन ने मोहन से पूछा, "तुम इतनी मुश्किलों के बावजूद कैसे इतना अच्छा कर लेते हो?"
मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरी गरीबी मेरी ताकत है। मुझे हर दिन अपनी जिंदगी बेहतर बनाने के लिए लड़ना पड़ता है, और यही मेरी प्रेरणा है।"
इस घटना के बाद रमन ने मोहन के साथ दोस्ती कर ली। उसने मोहन की मदद करने का फैसला किया। रमन ने अपने पिता से बात करके मोहन को शहर में पढ़ाई का मौका दिलवाया। मोहन ने उस मौके का पूरा फायदा उठाया और अपनी मेहनत से बड़ा अधिकारी बन गया।
कुछ सालों बाद, जब रमन के परिवार को व्यापार में घाटा हुआ और वह कर्ज में डूब गए, तब मोहन ने उनकी मदद की। उसने कहा, "दोस्ती की कीमत दौलत से नहीं चुकाई जाती। सच्चे दोस्त हमेशा साथ खड़े रहते हैं।"
शिक्षा:
दोस्ती का असली मतलब एक-दूसरे का सहारा बनना है। मेहनत और सच्चाई से जिंदगी के हर संघर्ष को जीता जा सकता है।