Sritunjay World: मैं बदल दूँगा अपनी दुनिया

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मैं बदल दूँगा अपनी दुनिया

"वो एक सपना था... और मैंने उसे हकीकत बना दिया"


“तू क्यों थक गया?
तेरे अंदर तो आग थी ना?”


“लोग हँसते रहे जब मैंने कहा — मैं बदल दूँगा अपनी दुनिया।
और मैं मुस्कुराया... क्योंकि मुझे यकीन था — मैं कर सकता हूँ!”


“रातें काली थीं, आँसू खारे थे, लेकिन मेरा इरादा… वो आग था!”


“मैं गिरा…
टूटा…
पर रुका नहीं!”


“जब कोई साथ नहीं था…
तब भी मेरा सपना मेरे साथ था।”


“माँ ने कहा था —
बेटा, हार मत मानना…
तेरे सपनों की क़ीमत तू ही समझ सकता है।”


“और आज…
वो सब जो मुझे कभी नाकाम कहते थे,
मेरी कहानी पढ़ते हैं!”


“जिन्हें मुझ पर शक था…
आज वही मुझे सलाम करते हैं।”


“मेरे पास ना दौलत थी, ना कोई सहारा…
बस एक जिद थी — खुद को साबित करने की।”


“और उस जिद ने ही मुझे यहाँ तक पहुँचाया है।”


“अगर तू भी जल रहा है अंदर से,
तो मत रुक…
मत झुक…
तू भी बदल सकता है सब कुछ!”


“ये कहानी सिर्फ मेरी नहीं…
ये कहानी है — हर उस इंसान की,
जिसने खुद पर भरोसा किया।”



“अगर यह कहानी तुम्हारे दिल तक पहुँची,
तो मेरी अन्य कहानियाँ भी पढ़ो…

शायद वहाँ तुम्हारा जवाब छुपा हो।”

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