Sritunjay World: अंधेरे से उजाले तक

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अंधेरे से उजाले तक

 "अंधेरे से उजाले तक"

गाँव के एक छोटे से घर में रहने वाला दीपक नाम का लड़का बेहद गरीब परिवार से था। उसके पिता मजदूर थे और मां दूसरों के घरों में काम करती थी। दीपक पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन गरीबी उसकी पढ़ाई में रुकावट बन रही थी। अक्सर उसे स्कूल की फीस और किताबों के लिए संघर्ष करना पड़ता था।


एक दिन, स्कूल के शिक्षक ने कक्षा में एक कहानी सुनाई। उन्होंने कहा, "अगर आप अंधेरे से डरकर रुक जाओगे, तो कभी उजाला नहीं देख पाओगे। सबसे बड़ा अंधेरा आपके मन का होता है। अगर मन के अंधेरे को जीत लिया, तो दुनिया की हर समस्या छोटी लगने लगेगी।"


दीपक को यह बात गहराई तक छू गई। उसने मन ही मन ठान लिया कि वह किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानेगा।


दीपक का सफर


दीपक ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए छोटे-मोटे काम शुरू किए। वह सुबह अखबार बाँटता, दोपहर में स्कूल जाता और शाम को एक चाय की दुकान पर बर्तन साफ करता। उसके दोस्तों ने उसे कई बार चिढ़ाया, लेकिन उसने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया। उसकी माँ ने एक दिन कहा, "बेटा, तुम इतना मेहनत क्यों करते हो? आराम से जी लो।"


दीपक ने मुस्कुराकर जवाब दिया, "माँ, अगर आज मेहनत कर लूँ, तो कल हमारी जिंदगी आरामदायक होगी।"


सफलता का दिन


धीरे-धीरे दीपक ने अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई पूरी की। उसने एक अच्छे कॉलेज में दाखिला लिया और वहाँ से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान भी उसने काम करना नहीं छोड़ा।


कुछ साल बाद, दीपक ने एक बड़ी कंपनी में नौकरी पाई। उसने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बदल दिया। अब वह वही दीपक था, लेकिन उसकी पहचान गाँव में एक प्रेरणा स्रोत के रूप में थी।


संदेश


दीपक की कहानी हमें सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर हमारे इरादे मजबूत हैं और हम मेहनत करने को तैयार हैं, तो कोई भी मंजिल असंभव नहीं है।


"अंधेरा चाहे जितना भी गहरा हो, एक छोटा दीपक उसे दूर कर सकता है।"





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